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1 Kings 13

:
Hindi - CLBSI
1 जब यारोबआम बेत-एल की वेदी पर सुगन्‍धित धूप-द्रव्‍य जलाने के लिए खड़ा था, तब प्रभु के वचन से उत्‍प्रेरित होकर यहूदा प्रदेश से ‘परमेश्‍वर का एक जन’ वहाँ आया।
2 उसने प्रभु के वचन की प्रेरणा से वेदी के विरोध में पुकार कर कहा, ‘ओ वेदी, वेदी! प्रभु यों कहता है: “देख, दाऊद के वंश में एक पुत्र उत्‍पन्न होगा। उसका नाम योशियाह होगा। जो पहाड़ी शिखर की वेदी के पुरोहित तेरे लिए सुगन्‍धित धूप-द्रव्‍य जलाते हैं, वह उनको तुझ पर बलि करेगा, और मनुष्‍यों की अस्‍थियाँ तुझ पर जलाई जाएंगी।”
3 उसने उसी दिन एक चिह्‍न भी दिया। उसने कहा, ‘जो वचन प्रभु ने कहा है, उसका यह चिह्‍न है: देख, यह वेदी फट जाएगी, और उस पर रखी हुई राख फेंक दी जाएगी।’
4 जब राजा यारोबआम ने परमेश्‍वर के जन की पुकार सुनी, जो उसने बेत-एल की वेदी के विरोध में कही थी, तब उसने वेदी के ऊपर से अपना हाथ बढ़ाकर उसकी ओर संकेत किया और कहा, ‘उसे पकड़ो।’ जिस हाथ से उसने परमेश्‍वर के जन की ओर संकेत किया था, उसको लकवा मार गया। वह उसको अपनी ओर मोड़ नहीं सका।
5 वेदी फट गई, और उसकी राख बिखर गई। यही चिह्‍न परमेश्‍वर के जन ने प्रभु के वचन की प्रेरणा से दिया था।
6 अत: राजा ने परमेश्‍वर के जन से कहा, ‘कृपाकर, तुम अपने प्रभु परमेश्‍वर को शान्‍त करो और उससे मेरे लिए निवेदन करो कि मेरा हाथ ज्‍यों का त्‍यों हो जाए।’ परमेश्‍वर के जन ने प्रभु से निवेदन किया, और राजा का हाथ ज्‍यों का त्‍यों हो गया। जैसे वह पहले था, वैसा ही वह फिर हो गया।
7 राजा ने परमेश्‍वर के जन से कहा, ‘मेरे साथ महल में चलो। वहाँ खाना-पीना और आराम करना। मैं तुम्‍हें उपहार भी दूंगा।’
8 परमेश्‍वर के जन ने राजा को उत्तर दिया, ‘यदि आप मुझे अपना आधा महल देंगे तो भी मैं आपके साथ नहीं जाऊंगा। मैं इस स्‍थान में रोटी खा सकता हूं, और पानी पी सकता हूं।
9 प्रभु ने अपने वचन के द्वारा मुझे यह आज्ञा दी है: “तू वहाँ रोटी खाना और पानी पीना। जिस मार्ग से तू बेत-एल जाएगा, उस मार्ग से भी मत लौटना।”
10 अत: वह अन्‍य मार्ग से चला गया। जिस मार्ग से वह बेत-एल आया था, वह उस मार्ग से नहीं लौटा।
11 बेत-एल नगर में एक वृद्ध नबी रहता था। उसके पुत्र आए। जो कार्य परमेश्‍वर के जन ने उस दिन बेत-एल में किया था, वह उन्‍होंने अपने पिता को बताया। उन्‍होंने परमेश्‍वर के जन की बातें भी बताईं, जो उसने राजा से कही थीं।
12 उनके पिता ने उनसे पूछा, ‘वह किस मार्ग से गया है?’ यहूदा प्रदेश से आनेवाला परमेश्‍वर का जन जिस मार्ग से गया था, वह उन्‍होंने अपने पिता को दिखाया।
13 उसने अपने पुत्रों से कहा, ‘मेरे लिए गधे पर जीन कसो।’ पुत्रों ने उसके लिए गधे पर जीन कसी और वह उस पर सवार हुआ।
14 उसने परमेश्‍वर के जन का पीछा किया। परमेश्‍वर का जन बांज वृक्ष के नीचे बैठा था। वह उससे मिला। वृद्ध नबी ने उससे पूछा, ‘क्‍या तुम ही परमेश्‍वर के जन हो? क्‍या तुम ही यहूदा प्रदेश से आए हो?’ उसने उत्तर दिया, “हाँ, मैं ही हूं।”
15 तब वृद्ध नबी ने उससे कहा, ‘मेरे साथ घर चलो और भोजन करो।’
16 परमेश्‍वर के जन ने कहा: “मैं आपके नगर को लौट नहीं सकता और आपके साथ आपके घर में प्रवेश कर सकता हूं। मैं इस स्‍थान में आपके साथ रोटी खाऊंगा, और पानी पीऊंगा।
17 प्रभु ने अपने वचन के द्वारा मुझ से यह कहा है ‘तू वहां रोटी खाना और पानी पीना। जिस मार्ग से तू बेत-एल जाएगा, उस मार्ग से भी मत लौटना।”
18 तब वृद्ध नबी ने उससे कहा, ‘जैसे तुम नबी हो, वैसे मैं भी हूं।’ फिर वृद्ध नबी ने उससे यह झूठ कहा, ‘प्रभु के दूत ने प्रभु के वचन के द्वारा मुझ से यह कहा है: “तू उसे अपने साथ अपने घर में लौटा ला जिससे वह रोटी खाए और पानी पीए।”
19 इस प्रकार परमेश्‍वर का जन उसके साथ लौटा, उसने उसके साथ रोटी खाई और पानी पिया।
20 जब वे दस्‍तरख्‍वान पर बैठे थे तब प्रभु का वचन वृद्ध नबी को, जो उसे लौटा लाया था, सुनाई दिया।
21 उसने यहूदा प्रदेश से आनेवाले परमेश्‍वर के जन को सम्‍बोधित करके कहा, ‘प्रभु यों कहता है: “तूने मेरे वचन के प्रति विद्रोह किया। जो आज्ञा मैंने, तेरे प्रभु परमेश्‍वर ने तुझे दी थी, उसका तूने पालन नहीं किया।
22 तू नगर को लौट आया। तूने इस स्‍थान में रोटी खाई और पानी पिया। मैंने तुझ से कहा था कि तू यहाँ रोटी खाना और पानी पीना। अत: तेरा शव तेरे पूर्वजों के कब्रिस्‍तान को लौटकर नहीं जा सकेगा।”
23 परमेश्‍वर के जन ने भोजन समाप्‍त किया। तत्‍पश्‍चात् वृद्ध नबी ने उसके लिए गधे पर जीन कसी और परमेश्‍वर के जन ने वहाँ से प्रस्‍थान किया।
24 जब परमेश्‍वर का जन जा रहा था तब उसे मार्ग में एक सिंह मिला। सिंह ने उसको मार डाला। उसका शव मार्ग पर लावारिस पड़ा रहा। शव के समीप गधा खड़ा था। सिंह भी उसके पास खड़ा था।
25 राहगीर वहाँ से गुजरे। उन्‍होंने देखा कि एक शव मार्ग पर लावारिस पड़ा है। शव के समीप सिंह खड़ा है। वे नगर में आए जहाँ वृद्ध नबी रहता था। राहगीरों ने यह बात लोगों को बताई।
26 जब नबी ने, जो परमेश्‍वर के जन को मार्ग से लौटा लाया था, यह बात सुनी तब उसने कहा, ‘वह परमेश्‍वर का जन है। उसने प्रभु के आदेश से विद्रोह किया था। अत: प्रभु ने उसको सिंह के हवाले कर दिया, जिसने उसको चीर-फाड़ दिया, और उसको मार डाला। ऐसा ही प्रभु ने उससे कहा था।’
27 नबी ने अपने पुत्रों से कहा, ‘मेरे लिए गधे पर जीन कसो।’ पुत्रों ने उसके लिए गधे पर जीन कसी और
28 वह गया। उसको शव मार्ग पर लावारिस पड़ा हुआ मिला। गधा और सिंह शव के समीप खड़े हुए थे। सिंह ने शव को नहीं खाया था, और गधे का वध किया था।
29 नबी ने परमेश्‍वर के जन का शव उठाया, और उसको गधे पर रखा। वह प्रथा के अनुसार मृतक के लिए शोक मनाने और शव को कबर में गाड़ने के लिए उसको नगर में ले गया।
30 उसने शव अपनी कबर में रखा। लोग छाती पीट-पीट कर शोक मनाने लगे। वे यह कह रहे थे, ‘हाय! हमारे भाई!’
31 उसका शव कबर में गाड़ने के पश्‍चात् नबी ने अपने पुत्रों से कहा, ‘जब मेरी मृत्‍यु हो तब इसी कबर में, जहाँ परमेश्‍वर का जन गाड़ा गया है, मुझे भी गाड़ना। मेरी अस्‍थियों को उसकी अस्‍थियों के समीप दफनाना।
32 परमेश्‍वर के जन का कथन जो उसने प्रभु के वचन की प्रेरणा से बेत-एल की वेदी के विरोध में, और सामरी प्रदेश के पहाड़ी शिखर की सब वेदियों के विरोध में कहा था, वह अवश्‍य पूर्ण होगा।’
33 इस घटना के पश्‍चात् भी यारोबआम अपने बुरे मार्ग से नहीं लौटा। उसने सामान्‍य लोगों के मध्‍य से व्यक्‍तियों को चुना, और उनको पहाड़ी शिखर की वेदियों के पुरोहित नियुक्‍त कर दिया। जो व्यक्‍ति पुरोहित-कार्य के लिए स्‍वयं को प्रस्‍तुत करता था, वह उसको पहाड़ी शिखर की वेदी का पुरोहित नियुक्‍त कर देता था।
34 यारोबआम का यह कार्य उसके वंश के लिए पाप का कारण बन गया। इस कारण उसका वंश लुप्‍त हो गया, पृथ्‍वी की सतह से उसका नाम मिट गया।